सरकारी कर्मचारी की ओर से काफी लंबे समय से पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग की जा रही है इसी बीच केंद्र सरकार की ओर से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। केंद्र सरकार इस साल के अंत तक नेशनल पेंशन स्कीम में बड़ी बदलाव कर सकती है।
केंद्र सरकार की द्वारा इस संशोधन के बाद से अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कर्मचारियों के रिटायरमेंट के बाद अब आखिरी दिनों में मिलने वाला वेतन का करीब 40 से 45 परसेंट पेंशन के रूप में कर्मचारियों को दिया जा सकेगा। इसको लेकर केंद्र सरकार की ओर से एक उच्च स्तरीय पैनल की सिफारिश की गई है जिसके आधार पर ही जल्द ही कर्मचारियों को पेंशन स्कीम का निर्धारण नेशनल पेंशन स्कीम के तहत किया जाएगा।
Old Pension Scheme Latest News
देश के बड़े अखबार हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित खबर के आधार पर इस पूरी मामले से जुड़े दो बात सामने आई है कि नए प्लान पर सरकार की ओर से विचार किया जा रहा है मगर सरकार की ओर से इस पर कोई भी आधिकारिक बयान जारी नहीं की गई है लेकिन लोकसभा चुनाव को मध्य नजर रखते हुए देखा जा रहा है कि सरकार की तरफ से जल्द ही इस पर उचित फैसला लिया जाएगा।
इस समय पूरे देश में पुरानी पेंशन स्कीम का मुद्दा पूरी तरह से हावी हो रहा है ऐसे में सरकार जल्द ही इसपर कोई उचित कदम उठा सकती है पिछले कुछ समय से गैर भाजपा शासन वाले राज्य में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जा रही है। ऐसे में केंद्र सरकार पर यह मुश्किल घड़ी आ रही है ऐसे में सरकार इस पर जल्द ही कोई उचित कदम उठाएगी ताकि वह विपक्ष से बराबरी कर सकें।
इन राज्यों में बहाल हुई पुरानी पेंशन व्यवस्था
कई सारे राज्य सरकार अपने स्तर से पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू कर रही है। पुरानी पेंशन व्यवस्था के अंतर्गत अंतिम वेतन का 50 परसेंट पेंशन के रूप में देने का प्रावधान है यह फिलहाल राजस्थान पंजाब हिमाचल प्रदेश छत्तीसगढ़ एवं झारखंड राज्य के राज्य सरकार द्वारा पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल कर दिया गया है। इससे लाखों राज्य के कर्मचारियों को सीधा-सीधा लाभ मिल रहा है। ऐसे में अन्य राज्यों में भी पुरानी पेंशन व्यवस्थाएं लागू करने की मांग उठाई जा रही है जो कि हवा की तरह फैल रही है। आने वाले चुनाव को मध्य नजर रखते हुए अन्य राज्य के सरकार को भी पुरानी पेंशन व्यवस्था पर उचित कदम उठाना होगा वरना उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा।
ऐसे में अर्थशास्त्रियों की माने तो पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने से राज्य सरकार पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा क्योंकि पुरानी पेंशन व्यवस्था पर खर्च होने वाला सारा पैसा राज्य सरकार को ही वहन करना होगा। केंद्र की ओर से इस पर कोई भी भरपाई नहीं की जाएगी। ऐसे में राज्य के राजकीय कोस पर इसका काफी ज्यादा असर पड़ने वाला है इससे राज्य पर अतिरिक्त भोज के साथ-साथ कर्ज कर्ज भी बढ़ सकता है।
एनपीएस को 2004 में लॉन्च किया गया
अभी के समय में मार्केट लिक्विड पेंशन प्लान लागू है जो कि 2004 में लॉन्च किया गया था इसके अंतर्गत कर्मचारियों को मूल वेतन का 10 परसेंट एवं सरकार को 14 परसेंट का योगदान देने की जरूरत है जबकि पुरानी पेंशन में कर्मचारियों को किसी भी तरह का कोई योगदान देने की जरूरत नहीं थी। ऐसे में सूत्रों की माने तो सरकार की कैलकुलेशन में कुछ बदलाव करके अब रिटायर होने वाले कर्मचारियों को हायर रिटर्न दिया जा सकता है इसके लिए कर्मचारी और नियोक्ता के कंट्रीब्यूशन में कुछ संभव है। एनपीएस के तहत कर्मचारियों को टोटल कॉरपस का 60% रिटायरमेंट के समय निकाल सकता है जो कि बिल्कुल टैक्स फ्री होता है।
एनपीएस में बदलाव के बाद यह उम्मीद थी कि सरकार किसी भी कीमत पर अब पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू नहीं करेगी। मगर पिछले दिन पहले वित्त मंत्रालय की ओर से भी एक अधिकारी ने पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने से बिल्कुल ही मना किया है। ऐसे में देखना यह है कि सरकार इसका कोई उचित कदम उठा सकती है या फिर कुछ अन्य विकल्प तलाश तक सकती है ताकि आने वाले लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे को जरिया न बनाया जा सके एवं सरकार इस मुद्दे पर जल्द ही कुछ ठोस कदम उठाकर इसका निवारण करना चाहती है ताकि कर्मचारी भी खुश रहे और उनको भी उचित लाभ मिल सके।
पुरानी पेंशन व्यवस्था की मांग हवा की तरह सारे देश में फैल रही है। ऐसे में केंद्र सरकार जल्द ही इस पर कोई उचित कदम उठा सकती है या फिर इसका कोई विकल्प चला सकती है ताकि पुरानी पेंशन व्यवस्था की मांग चुनाव में मुद्दा बन सके एवं कर्मचारियों को उचित फायदा दिया जा सके। इस बात को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार जल्द ही पुरानी पेंशन व्यवस्था जैसी कुछ नया विकल्प चला सकती है जिससे कर्मचारी भी खुश रहे और केन्द्र सरकार को भी अतिरिक्त आर्थिक बोझ का सामना न करना पड़े